प्राचीन ओलंपिया पश्चिमी पेलोपोनीज़ में स्थित ज़ीउस की पूजा के लिए समर्पित एक प्राचीन यूनानी अभयारण्य स्थल था। 776 ईसा पूर्व से 393 ईसवी तक इस स्थल पर हर चार साल में ज़ीउस के सम्मान में पैन-हेलेनिक ओलंपिक खेल आयोजित किए गए थे। ओलंपिया को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
प्रारंभिक इतिहास
यह स्थल पहली बार दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में बसा और यहाँ के आवासों का पहला पुरातात्विक रिकॉर्ड 1900 से 1600 ईसा पूर्व का है। यहाँ स्थित क्रोनियन पहाड़ी शायद क्रोनोस को समर्पित पहली पूजा स्थल थी। हालाँकि, पहाड़ी के तल पर जंगली जैतून के पेड़ों या अल्टिस के पवित्र उपवनों में पाई गई अन्य पवित्र इमारतें इस बात का संकेत देती हैं कि यहाँ गैया, थेमिस, एफ़्रोडाइट और पेलोप्स जैसे अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती थी। पेलोपोन्नी में पश्चिमी ग्रीक जनजातियों के आने से, ओलंपियन देवताओं के पिता ज़ीउस,ओलंपिया में प्रमुख पंथ व्यक्ति बन गए।
ज़ीउस का मंदिर
इस प्रसिद्ध प्राचीन अभयारण्य स्थल पर पहली बड़ी इमारत हेरायन थी, जो 650-600 ईसा पूर्व के आसपास निर्मित ,हेरा को समर्पित एक मंदिर था। 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में यह अभयारण्य अपनी समृद्धि के चरम पर पहुंच गया। ओलंपियन देवताओं के नेता की एक विशाल हाथीदांत और सोने की मूर्ति को रखने के लिए ज़ीउस का विशाल 6 x 13 स्तंभ वाला मंदिर 457 ईसा पूर्व में पूरा हुआ।एलिस के लिबोन द्वारा डिज़ाइन किया गया, डोरिक मंदिर उस समय ग्रीस में सबसे बड़ा था। यह माप में 64.12 मीटर x 27.68 मीटर था और इसके स्तंभ 10.53 मीटर ऊंचे थे। ज़ीउस के मंदिर की चौकीयों में शानदार मूर्तिकला प्रदर्शित की गई थी ; पूर्व में पेलोप्स और ओइनोमाओस के बीच पौराणिक रथ दौड़, और पश्चिमी चौकी पर अपोलो की राजसी केंद्रीय आकृति के साथ एक सेंटोरोमाची ( लड़ाई )। मंदिर के मेटोप्स पर हरक्यूलिस के महान करतबों के दृश्य थे। मंदिर के भीतर ज़ीउस की मूर्ति फिदियास द्वारा बनाई गई थी (जिन्होंने पार्थेनन और एथेना की मूर्ति पर भी काम किया था)।सिंहासन पर बैठे ज़ीउस की सोने और हाथीदांत से बनी यह 12 मीटर ऊंची मूर्ति को प्राचीन विश्व के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता था।
सदियों से चली आ रही अन्य महत्वपूर्ण निर्माण परियोजनाओं में स्नानघर और स्विमिंग पूल (5वीं शताब्दी ईसा पूर्व), दर्शकों के लिए तटबंधों वाला नया स्टेडियम (मध्य-4वीं शताब्दी ईसा पूर्व), एक पलाइस्ट्रा (3री शताब्दी ईसा पूर्व), एक व्यायामशाला (2वीं शताब्दी ईसा पूर्व), हिप्पोड्रोम (780 मीटर लंबा), बड़े लियोनिडियन या गेस्ट हाउस (330 ईसा पूर्व), और थेइकोलोई (पुजारी का निवास) शामिल थे।
ओलंपिक खेल
यह खेल आयोजन मूल रूप में अंतिम संस्कार की रस्मों से जुड़े हुए थे। उदाहरण के लिए, होमर के इलियड में , पैट्रोकलोस के सम्मान में अकिलीज़ द्वारा शुरू किए गए अंतिम संस्कार खेल, का ज़िकर है।कुछ पौराणिक कथाओं में ज़ीउस को इन खेलों की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है जो उसने क्रोनोस पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए किया।कुछ अन्य कहानियों में कहा गया है कि पेलोप्स ने ओइनोमाओस के सम्मान में उन्हें शुरू किया था। जो भी हो खेल, स्वस्थ शरीर और प्रतिस्पर्धी भावना, सभी ग्रीक शिक्षा का एक बहुत बड़ा हिस्सा थे और इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि किसी समय पर संगठित एथलेटिक प्रतियोगितायों को स्थापित किया गया हो।
पहला ओलंपिक खेल ग्रीष्म संक्रांति के बाद पहली पूर्णिमा पर 776 ईसा पूर्व में आयोजित किया गया था। इस पहले और एकमात्र आयोजन, स्टेडियन फ़ुट-रेस (स्टेडियम ट्रैक की एक लंबाई, 600 फ़ीट या 192 मीटर) का विजेता एलिस का कोरोइबोस था। तब से हर विजेता को रिकॉर्ड किया गया और प्रत्येक ओलंपियाड का नाम उनके नाम पर रखा गया, इस प्रकार हमें ग्रीक दुनिया का पहला सटीक कालक्रम मिला। तीन महीने के पैन-हेलेनिक युद्धविराम के दौरान एथलीट और 40,000 से अधिक दर्शक भूमध्य सागर के पार ग्रीक शहरों से खेलों में भाग लेने के लिए आए थे। व्यक्तियों और शहर-राज्यों ने ज़ीउस को भेंटें चढ़ाई जिसमें पैसे, मूर्तियाँ (पैयोनियोस की शानदार नाइके- लगभग 424 ईसा पूर्व, और प्रैक्सिटेल्स के हर्मीस- 4 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के अंत में), कांस्य तिपाई, ढाल, हेलमेट और हथियार शामिल थे। इसके परिणामस्वरूप ओलंपिया ग्रीक कला और संस्कृति का एक जीवंत संग्रहालय बन गया। कई शहरों में कोषागार भी बनवाए गए जो कि छोटे लेकिन प्रभावशाली भवन थे जिनमें चढ़ावा रखा जाता था और जो शहर की प्रतिष्ठा बढ़ाते थे।
समय के साथ साथ खेलों में अन्य स्पर्धाएँ भी जोड़ी दी गईं जैसे -लंबी पैदल दौड़, कुश्ती, मुक्केबाजी, रथ दौड़, डिस्कस, भाला फेंक, कूद और पेंटाथलॉन। अपने चरम पर 18 स्पर्धाएँ थीं जो पाँच दिनों में फैली होती थीं, हालाँकि मूल स्टेडियम ही हमेशा सबसे महत्वपूर्ण आयोजन रहता ।विजेताओं को जैतून के पत्तों के मुकुट और पवित्र उपवन से काटी गई जैतून की शाखा से पुरस्कारित किया जाता , लेकिन इससे अधिक महत्वपूर्ण था उनका महिमा, प्रसिद्धि और वास्तव में ऐतिहासिक अमरता को जीतना।
ओलंपिया में आयोजित दूसरा महत्वपूर्ण आयोजन महिलाओं के लिए हेरिया खेल था, जो हर चार साल में देवी हेरा के सम्मान में आयोजित किया जाता था। बच्चे, किशोर और युवतियाँ स्टेडियम ट्रैक (160 मीटर) के 500 फीट से अधिक की अलग-अलग पैदल दौड़ में भाग लेते थे। विजेताओं के लिए पुरस्कारों में जैतून के मुकुट और साइट पर अपना चित्र स्थापित करने का अधिकार शामिल था। दोनों खेलों के आयोजन और उपयोग में न होने पर साइट के रखरखाव की जिम्मेदारी एलियंस के पास थी।
यह खेल हेलेनिस्टिक काल के दौरान भी जारी रहे, जिसमें फिलिपियन नामक एक गोलाकार स्तंभयुक्त इमारत शामिल की गई जो एक उल्लेखनीय वास्तुशिल्पी का नमूना थी। इसे मैसेडोनिया के फिलिप द्वितीय ने बनवाया था और इसमें शाही परिवार की सोने की मूर्तियाँ थीं (लगभग 338 ई.पू.)। रोमनों ने खेलों के धार्मिक महत्ता को कम महत्व देते हुए भी उन्हें उच्च सम्मान देना जारी रखा और 80 ई.पू. में सुल्ला द्वारा खेलों को स्थायी रूप से रोम में स्थानांतरित करने के प्रयास के बावजूद, ओलंपिया को नई इमारतों, गर्म स्नानघरों, फव्वारों (विशेष रूप से हेरोड्स एटिकस का निम्फियन, 150 ई.पू.) और मूर्तियों से अलंकृत करना जारी रखा। इनमें सबसे प्रसिद्ध है - सम्राट नीरो का 67 ई.पू. में ओलंपिक जीत का गौरव हासिल करने का प्रयास ! नीरो ने न केवल इन खेलों में भाग ही लिया बल्कि आश्चर्यजनक रूप से हर प्रतियोगिता, जिसमें उन्होंने हिस्सा लिया, उसमें जीत भी हासिल की।
पतन
सम्राट थियोडोसियस द्वारा सभी पंथ प्रथाओं और बुतपरस्त त्योहारों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर, एक सहस्राब्दी से अधिक समय और 293 ओलंपिक खेलों के बाद , 393 ई. में इन खेलों का समापन हुआ। प्रसिद्ध अभयारण्य स्थल धीरे-धीरे पतन की ओर चला गया और 426 ई. में सम्राट थियोडोसियस द्वितीय के आदेश के तहत, यह आंशिक रूप से नष्ट हो गया।आगे चलकर एक ईसाई समुदाय द्वारा इसका कब्जा कर लिया गया, जिसने शुरुआती बीजान्टिन काल में इस स्थल पर एक बेसिलिका का निर्माण किया। 522 और 551 ई. में आए भूकंपों ने शेष बचे अधिकांश खंडहरों को नष्ट कर दिया, और निकटवर्ती नदियों अल्फियोस और क्लेडियोस की गाद से अंततः यह स्थल ढक रहे जब तक कि 1829 में फ्रांसीसी पुरातत्व मिशन द्वारा इसकी पुनः खोज नहीं की गई और 1875 से जर्मन पुरातत्व संस्थान द्वारा व्यवस्थित खुदाई नहीं की गई। एक समय के बेहतरीन मंदिरों में से अधिकांश अब केवल खंडहर हैं, लेकिन आगंतुक कम से कम सबसे पहले ओलंपिक स्टेडियम के ट्रैक पर आज भी दौड़ सकते हैं।